

शनिवार 26 अक्टूबर 2025 को मुरादाबाद के मानसरोवर पैराडाइज में मास्टर जी परिवार की प्रेस वार्ता एवं भारती दीदी अशोक सभा आयोजित की गई । इस ‘अशोक सभा’ में श्रीमद्भगवद्गीता के इस दिव्य संदेश की प्रतिध्वनि गूंज उठी “अशोक रहना तेरा धर्म है, यानी न जन्म है, न मृत्यु है।”
मृत्यु कोई अंत नहीं, बल्कि चेतना का रूपांतरण है- यही अनुभूति आज सभा में साकार हो उठी। भारती की यात्रा, जो शरीर के माध्यम से आरंभ हुई थी, अब पूर्ण रूप से पारब्रह्म में विलीन हो चुकी है।
सभा की शुरुआत मौन ध्यान और ‘आनंद आयो रे’ भजन से हुई वही भजन जो भारती ने अपनी अंतिम साँसों तक गाया था। वातावरण में एक अनोखी शांति और दिव्यता थी जैसे मृत्यु स्वयं अपनी परिभाषा बदल रही हो।
MAAsterG, जो पिछले 18 वर्षों से आध्यात्मिक जागृति, आत्मबोध और वे ऑफ लिविंग टू आर्ट ऑफ डाइंग (अर्थात् जीवन जीने की कला से मृत्यु को स्वीकारने की कला तक) का संदेश जन-जन तक पहुँचा रहे हैं, ने इस अवसर पर कहा –
“भारती ने हमें दिखाया कि जब चेतना जाग्रत हो जाती है, तब शरीर की ज्वाला भी उसे जला नहीं सकती। सत्तर प्रतिशत शरीर जलने के बावजूद वह द्रष्टा रही, साक्षी बनी रही और मौज में रही। यही है ‘आर्ट ऑफ डाइंग – जब मृत्यु भी प्रसाद बन जाती है।”उन्होंने आगे कहा -“अद्वैत अवस्था वही है, जहाँ दूसरा नहीं बचता। जहाँ दर्द भी बाहर रह जाता है। भारती ने उस अवस्था को पाया – स्थितप्रज्ञ होकर, परमात्मा में लीन होकर। जलते शरीर में भी उसने कहा- मैं शरीर नहीं हूँ।’ यही सच्ची मुक्ति है।”
सभा में उपस्थित शिष्यों ने कहा कि भारती का जीवन और मृत्यु, दोनों ही मिशन 800 करोड़ के संदेश को और गहराई से जीवित कर गए कि हर व्यक्ति के भीतर आत्मा का अमर तत्व है, जिसे केवल अनुभव से जाना जा सकता है, शब्दों से नहीं।
MAAsterG ने कहा -“जो भारती के भीतर हुआ, वही हर मनुष्य के भीतर होना है- द्वैत से अद्वैत की यात्रा। जब हम ‘मैं’ और ‘मेरा’ से मुक्त होते हैं, तब हम भगवान के स्वरूप हो जाते हैं। यही धर्म की परिपूर्णता है – अशोक रहना ही धर्म है।
सभा के अंत में सभी ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे भी अपने जीवन में भारती की तरह ‘आर्ट ऑफ डाइंग के इस अनुभव को जीएँगे – जागृत होकर, साक्षी बनकर, अशोक होकर।
MAAsterG के बारे में 2007 में आत्मबोध की प्राप्ति के पश्चात् MAAsterG ने अपने अनुभवों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया। पिछले 18 वर्षों में, उन्होंने लाखों लोगों को जीवन, मृत्यु और आत्मज्ञान का समन्वित दृष्टिकोण सिखाया है। उनका मिशन है – ‘Mission 800 crores, यानी दुनिया के हर अंतिम व्यक्ति तक पहुँचकर उन्हें स्थायी आनंद और आंतरिक शांति का मार्ग दिखाना।
उनका संदेश है – “रोज़ की एक वाणी रखे दुखों से दूर।”

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